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Makar Sankranti 2019: इन मंत्रों के साथ सही विधि से मनाएं मकर संक्रांति, मिलेगा विशेष लाभ

मकर संक्रांति के साथ कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं. माना जाता है कि इस दिन सूर्य भगवान अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं

Updated On: Jan 14, 2019 07:51 PM IST

Ashutosh Gaur

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Makar Sankranti 2019: इन मंत्रों के साथ सही विधि से मनाएं मकर संक्रांति, मिलेगा विशेष लाभ

मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर अग्रसर होता है और धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है. मकर राशि में सूर्य के इस संक्रमण को ही मकर संक्रांति कहा जाता है. इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को है. आमतौर पर यह 14 तारीख को मनाई जाती रही है. मकर संक्रांति का सीधा संबंध हमारे ग्रह यानी पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थिति से जुड़ा है. इसी दिन, सूर्य उत्तरायण होकर मकर रेखा पर आता है. इसीलिए मकर संक्रांति का त्योहार इसी दिन मनाया जाता है।

ज्योतिष के दृष्टिकोण से

ज्योतिष के नजरिए से देखें तो भी मकर संक्रांति बहुत अहम त्योहार है. इसका धर्मग्रंथों में भी उल्लेख हुआ है. मकर संक्रांति ही वो दिन होता है जब सूर्य धनु राशि छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है. इसी के साथ उसकी उत्तरायण होने की गति आरंभ होती है. यह शुभ काल माना जाता है. माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी त्यागकर उनके घर गए थे, इसलिए इस दिन को सुख और समृद्धि का दिन भी माना जाता है. इस दिन से वसंत ऋतु की शुरुआत भी हो जाती है. इसीलिए मकर संक्रांति को सुख-समृद्धि का अवसर और प्रतीक मना जाता है.

Hindu devotees take a dip at Sangam, a confluence of three rivers, the Ganga, the Yamuna and the mythical Saraswati, on the occasion of "Makar Sankranti" festival in Allahabad

क्या हैं मान्यताएं?

मकर संक्रांति के साथ कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं. माना जाता है कि इस दिन सूर्य भगवान अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं. शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं. इसलिए इस दिन को मकर सक्रांति के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी और सभी असुरों का सिर मंदार पर्वत में दबा दिया था. यह भी माना जाता है मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भागीरथ के पिछे-पिछे कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में उनसे जा मिली थी. अन्य मान्यता है कि गंगा को धरती पर लाने वाले भागीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था, जिसे स्वीकार कर गंगा समुद्र में जाकर मिल गई थी.

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मान्यता यह भी है कि सर सैय्या पर लेटे हुए भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन का ही चुना था. कहा ये भी जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही यशोदा ने कृष्ण जन्म के लिए व्रत किया था, जिसके बाद मकर संक्रांति के व्रत का प्रचलन हुआ.

कहां और कैसे मनाई जाती है मकर संक्रांति

जितनी विविधता मकर संक्रांति के अवसर पर देश भर में देखी जाती है किसी अन्य त्यौहार पर देखने को नहीं मिलती. उत्तर भारत में मकर संक्राति की पूर्व संध्या को लोहड़ी के रुप में मनाया जाता है, फिर मकर संक्रांति के दिन सुबह-सुबह स्नान कर सूर्य देव की पूजा की जाती है. बड़े-बुजूर्गों का आशीर्वाद लिया जाता है. पूर्वोत्तर राज्यों में बिहु तो दक्षिणी राज्यों में पोंगल के रूप में भी मकर संक्रांति के उत्सव को मनाया जाता है.

Makar sankranti 7

ऐसे मनाएं मकर संक्रांति का पर्व 

सुबह-सुबह किसी पवित्र नदी या तीर्थ पर स्नान कर सूर्य देवता की पूजा करें. इस दिन गंगा स्नान को बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है. गुड़, तिल, चावल, उड़द दाल, कंबल जैसी चीजें ब्राह्मण या किसी गरीब व्यक्ति को दान करें.

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मन्त्र जप

मकर संक्रांति के इन दिन मंत्रों का करें जप

1. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणाय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।। 2. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

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मकर संक्रांति का महत्व

ग्रहों की शांति, पितृ दोष और मोक्ष प्राप्ति के लिए मकर संक्रांति को बहुत ही लाभकारी माना जाता है.  इसके साथ ही खरमास की समाप्ति होती है और शुभकाल शुरु होता है. इसलिए मकर संक्रांति का बहुत महत्व है.

कब है शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति के दिन स्नान के लिए सुबह 7 बजकर 19 मिनट से 9 बजकर 3 मिनट तक का समय सर्वश्रेष्ठ रहेगा.

मकर संक्रांति- 15 जनवरी 2019 पुण्यकाल - 07:19 से 12:31 बजे तक महापुण्य काल - 07:19 से 09:03 बजे तक संक्रांति स्नान - प्रात:काल, 15 जनवरी 2019

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