भारत में दिवाली के आस-पास के दिनों में कई त्योहार मनाए जाते हैं. इन त्योहारों में रूप चौदस का पर्व भी काफी महत्व रखता है. दिवाली के एक दिन पहले रूप चौदस का त्योहार मनाया जाता है. इसे छोटी दिवाली, नरक चतुदर्शी और काली चतुदर्शी के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू त्योहारों में रूप चौदस काफी मायने रखती है. हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ये पर्व मनाया जाता है. इस बार दिवाली 7 नवंबर को है और 6 नवंबर को रूप चौदस का त्योहार मनाया जाएगा.
महत्व
रूप चौदस पर व्रत रखने का भी अपना महत्व है. मान्यता है कि रूप चौदस पर व्रत रखने से भगवान श्रीकृष्ण व्यक्ति को सौंदर्य प्रदान करते हैं. रूप चतुदर्शी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर तिल के तेल की मालिश और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर नहाना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के दर्शन करने चाहिए. ऐसा करने से पापों का नाश होता है और सौंदर्य हासिल होता है.
साथ ही रूप चौदस की रात मान्यतानुसार घर का सबसे बुजुर्ग पूरे घर में एक दिया जलाकर घुमाता है और फिर उसे घर से बाहर कहीं दूर जाकर रख देता है. इस दिए को यम दीया कहा जाता है. इस दौरान घर के बाकी सदस्य अपने घर में ही रहते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिए को पूरे घर में घुमाकर बाहर ले जाने से सभी बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती है.
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