माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अचला सप्तमी या रथ सप्तमी कहते हैं. यह पावन तिथि इसी माह को 12 तारीख को पड़ी है. इस दिन भगवान भास्कर यानी सूर्यदेव की साधना-आराधना का अक्षय फल मिलता है. सच्चे मन से की गई साधना से प्रसन्न होकर भगवान सूर्य अपने भक्तों को सुख-समृद्धि एवं अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
इस दिन भक्ति भाव से किए गए पूजन से प्रसन्न होकर सूर्यदेव अपने भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं, इसीलिए इसे आरोग्य सप्तमी भी कहते हैं. मान्यता है कि अगर इस दिन स्नान कर नए कपड़े पहन पूरी साधना के साथ सूर्य देव की पूजा की जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है. सूर्य देव प्रसन्न होकर अपने भक्तों को उनकी इच्छा पूरी होने का वरदान देते हैं.
ऐसे करें सूर्य साधना-
अचला सप्तमी के दिन स्नान करके सूर्य का दर्शन एवं उन्हें 'ॐ घृणि सूर्याय नम:' कहते हुए जल अर्पित करें.
सूर्य की किरणों को लाल रोली, लाल फूल मिलाकर जल दें.
सूर्य को जल देने के पश्चात् लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके इस मंत्र का 108 बार जाप करें
''एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर।।''
ऐसा करने से सूर्य देवता की कृपा मिलेगी और आपको सुख-समृद्धि और अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्राप्त होगा. आपको किए गए कार्य का फल शीघ्र मिलने लगेगा और आपके अपयश दूर हो जाएंगे. साथ ही आपके भीतर एक नई ऊर्जा का संचार होगा और आप सफलता के मार्ग पर बढ़ने लगेंगे.
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