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Navratri 2018: चौथे दिन होती है मां कूष्माण्डा की पूजा, इस बात का रखें ध्यान

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा होती है. मान्यता है कि इन देवी की पूजा से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं.

Updated On: Oct 12, 2018 02:57 PM IST

FP Staff

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Navratri 2018: चौथे दिन होती है मां कूष्माण्डा की पूजा, इस बात का रखें ध्यान

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा होती है. मान्यता है कि इन देवी की पूजा से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं. साथ ही आयु, यश, बल और आरोग्य में भी बढ़ोतरी होती है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक कूष्माण्डा माता की आठ भुजाएं होती हैं. जिसके कारण इन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है. इनके आठों हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृतपूर्ण कलश, चक्र, गदा और जपमाला होती है. वहीं माता का वाहन सिंह है. नवरात्रि में मां भगवती के सभी 9 रूपों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है. शारदीय नवरात्रों में चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा का भी महत्व है.

मां कूष्माण्डा का मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

मां की उपासना के लिए ध्यान मंत्र

वन्दे वांछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम् सिंहरूढाअष्टभुजा कुष्माण्डायशस्वनीम्

चौथे दिन देवी कूष्माण्डा की पूजा के बाद ध्यान रखें कि भगवान शंकर की पूजा जरूर करें. इसके बाद भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी की पूजा एक साथ करें. इसके बाद मां कुष्‍मांडा को मालपुए का भोग लगाएं और भोग लगाने के बाद प्रसाद किसी ब्राह्मण को हान जरूर करें. मां की पूजा से बुद्ध‍ि में इजाफा होता है और निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है.

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