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एक ही दिन पड़ रही है अष्टमी और नवमी, ऐसे करें कन्याओं का पूजन

मां भगवती के भक्त अष्टमी या नवमी को कन्याओं की विशेष पूजा करते हैं

Updated On: Mar 24, 2018 07:18 PM IST

FP Staff

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एक ही दिन पड़ रही है अष्टमी और नवमी, ऐसे करें कन्याओं का पूजन

देवी भागवत् पुराण के अनुसार, साल में कुल चार नवरात्रि होते हैं जिनमें माघ और आषाढ़ के नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहते हैं. चैत्र और आश्विन महीने में नवरात्रि मनाया जाता है, जिनका पुराण में सबसे अधिक महत्व बताया गया. बसंत ऋतु में होने के कारण चैत्र नवरात्रि को वासंती नवरात्रि और शरद ऋतु में आने वाले आश्विन मास के नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि भी कहा जाता है. चैत्र और आश्विन नवरात्रि में आश्विन नवरात्रि को महानवरात्रि भी कहा जाता है.

हालांकि इस बार नवरात्रि आठ दिनों की है, क्योंकि अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ रही है यानी 25, मार्च 2018 को. नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के 9 रूपों को पूजा की जाती है. मां को प्रसन्न करने के लिए लोग व्रत रखते हैं, पूजा-पाठ करते हैं, कंजिके जिमाते हैं और पूरी श्रद्धा से कन्या पूजन भी करते हैं. लेकिन नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व और लाभ हैं.

हिंदू धर्म के अनुसार, नवरात्रों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. मां भगवती के भक्त अष्टमी या नवमी को कन्याओं की विशेष पूजा करते हैं. 9 कुंवारी कन्याओं को सम्मानित ढंग से बुलाकर उनके पैर धोकर कर आसन पर बैठा कर भोजन करा कर सबको दक्षिणा और भेंट देते हैं.

श्रीमद् देवीभागवत के अनुसार कन्या पूजन के नियम

एक वर्ष की कन्या को नहीं बुलाना चाहिए, क्योंकि वह कन्या गंध भोग आदि पदार्थों के स्वाद से बिलकुल अनभिज्ञ रहती है. ‘कुमारी’ कन्या वह कहलाती है जो दो वर्ष की हो चुकी हो, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छह वर्ष की कालिका, सात वर्ष की चण्डिका, आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं.

इससे ऊपर की अवस्थावाली कन्या का पूजन नहीं करना चाहिए. कुमारियों की विधिवत पूजा करनी चाहिए. फिर स्वयं प्रसाद ग्रहण कर अपने व्रत को पूरा कर ब्राह्मण को दक्षिणा दे कर और उनके पैर छू कर विदा करना चाहिए.

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कन्याओं के पूजन से प्राप्त होने वाले लाभ

'कुमारी' नाम की कन्या जो दो वर्ष की होती हैं दुख और दरिद्रता का नाश, शत्रुओं का क्षय और धन, आयु की वृद्धि करती हैं .

'त्रिमूर्ति' नाम की कन्या का पूजन करने से धर्म-अर्थ काम की पूर्ति होती हैं पुत्र- पौत्र आदि की वृद्धि होती है .

'कल्याणी' नाम की कन्या का नित्य पूजन करने से विद्या, विजय, सुख-समृद्धि प्राप्त होती है.

'रोहणी' नाम की कन्या के पूजन से रोगनाश हो जाता है.

'कालिका' नाम की कन्या के पूजन से शत्रुओं का नाश होता है.

'चण्डिका' नाम की कन्या के पूजन से धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

'शाम्भवी' नाम की कन्या के पूजन से सम्मोहन, दुःख-दरिद्रता का नाश और किसी भी प्रकार के युद्ध (संग्राम) में विजय प्राप्त होती हैं .

'दुर्गा' नाम की कन्या के पूजन से क्रूर शत्रु का नाश, उग्र कर्म की साधना और परलोक में सुख पाने के लिए की जाती हैं

'सुभद्रा' नाम की कन्या के पूजन से मनुष्य के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं.

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