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महाष्टमी 2017: कन्यापूजन से प्रसन्न होती हैं मां महागौरी

दुर्गा अष्टमी के दिन कई लोग अपना व्रत पूर्ण करते हैं और अंत में छोटी कन्याओं का पूजन किया जाता है

Updated On: Sep 28, 2017 08:12 AM IST

FP Staff

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महाष्टमी 2017: कन्यापूजन से प्रसन्न होती हैं मां महागौरी

महाष्टमी को महादुर्गाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. महाअष्टमी दुर्गा पूजा के महत्वपूर्ण दिनों में से एक है. नौ दिनों के इस पर्व में मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है. महाअष्टमी वाले दिन मां गौरी की पूजा की जाती है. इस दिन पूजा पाठ और विशेषतौर पर कन्या पूजन किया जाता है.

नौ रातों का समूह यानी नवरात्रे की शुरुआत अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की पहली यानी 21 तारीख सितंबर से हो चुकी है और 30 सितंबर दशमी वाले दिन ये पूर्ण होंगे. सबसे पहले भगवान रामचंद्र ने समुद्र के किनारे नौ दिन तक दुर्गा मां का पूजन किया था और इसके बाद लंका की तरफ प्रस्थान किया था. फिर उन्होंने युद्ध में विजय भी प्राप्त की थी, इसलिए दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है और माना जाता है कि धर्म की अधर्म पर जीत, सत्‍य की असत्‍य पर जीत के लिए दसवें दिन दशहरा मनाते हैं. मां दुर्गा नवरात्रि के दौरान कैलाश छोड़कर धरती पर आकर रहती हैं.

अष्टमी के व्रत की विधि

अष्टमी यानी दुर्गा अष्टमी के दिन कई लोग अपना व्रत पूर्ण करते हैं और अंत में छोटी कन्याओं का पूजन किया जाता है और उन्हें घर बुलाकर उन्हें भोजन करवाकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छोटी कन्याओं को देवी का रूप माना गया है. कन्याओं के पूजन के बाद ही नौ दिन के बाद व्रत खोला जाता है. व्रत को पूर्ण करने और मां दुर्गा का आशीर्वाद लेने के लिए कन्याओं का अष्टमी और नवमी के दिन पूजन करना आवश्यक होता है. इस बार शारदीय नवरात्रि की अष्टमी 28 सितंबर 2017 शुक्रवार को है. इस दिन सात दिन उपवास करने वाले अपना व्रत खोलते हैं और कन्याओं का पूजन करते हैं.

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अष्टमी का महत्व

नवरात्रों में रखे जाने वाले व्रत के अनेक फायदे होते हैं इससे शरीर संतुलित रहता है. जब मौसम बदलता है तब शरीर को संतुलित रखना आवश्यक होता है. इससे बीमारियां नहीं लगती हैं. नौ दिन के उपवास के बाद शरीर में संयम, साधना की शक्ति आ जाती है जिससे शरीर मजबूत हो जाता है. नवरात्रों में उपवास करने से मां दुर्गा प्रसन्न होकर वरदान देती हैं. दशहरे से पहले नवमी को हर कोई अपने घर में कन्या पूजन करता है, बिना कन्या पूजन के नवरात्र का व्रत अधूरा माना जाता है.

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