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हैप्पी महानवमी: हवन-बलिदान से पूरी होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा

इनके पूजन और कथा के बाद ही नवरात्रि का समापन किया जाना शुभ माना जाता है

Updated On: Sep 29, 2017 10:47 AM IST

FP Staff

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हैप्पी महानवमी: हवन-बलिदान से पूरी होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा

नवरात्रि में आने वाली नवमी को महानवमी भी कहा जाता है. नवमी नवरात्रि का नौवां दिन और दुर्गा पूजा का तीसरा यानि आखिरी दिन होता है. अष्टमी की शाम से ही नवमी की तिथि लग जाती है. नवमी का दिन मां सिद्धिदात्री का दिन होता है.

इस दिन नौ दिन के उपवास और तप का आखिरी दिन होता है. कई जगहों पर अष्टमी को कन्या पूजन किया जाता है तो कई जगहों पर कन्या पूजन करके नवरात्रि का समापन किया जाता है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छोटी कन्याओं को देवी का रूप माना गया है. कन्याओं के पूजन के बाद ही नौ दिन के बाद व्रत खोला जाता है. मां सिद्धीदात्री का पूजन करने के बाद ही नवरात्रि का समापन किया जाता है.

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप

अपने सांसारिक स्वरूप में देवी सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं और हाथों में कमल, शंख, गदा, सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं. सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं, जो श्वेत वस्त्रालंकार से युक्त महाज्ञान और मधुर स्वर से अपने भक्तों को सम्मोहित करती हैं.

क्या करना आवश्यक है

महानवमी के दिन महास्नान और पूजा करने का रिवाज है. ये पूजा अष्टमी की शाम ढलने के बाद की जाती है, जब नवमी की तिथि लग जाए. दुर्गा बलिदान की पूजा नवमी के दिन अपहरना काल में की जाती है. इस दिन यानि नवमी के दिन हवन करना आवश्यक होता है. नवरात्रि के समापन के लिए ही नवमी पूजन में हवन किया जाता है. इनके पूजन और कथा के बाद ही नवरात्रि का समापन किया जाना शुभ माना जाता है.

शास्त्रों के अनुसार पूजा का महत्व

शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि मां पार्वती ने महिषासुर नामक राक्षस को मारने के लिए दुर्गा का रूप लिया था. महिषासुर एक राक्षस था जिससे मुकाबला करना सभी देवताओं के लिए मुश्किल हो गया था. इसलिए आदिशक्ति ने दुर्गा का रुप धारण किया और महिषासुर से 8 दिनों तक युद्ध किया और नौवें दिन महिषासुर का वध कर दिया. उसके बाद से नवरात्रि का पूजन किया जाने लगा. नौवें दिन को महानवमी के दिन से जाना जाने लगा.

पूजा का लाभ

इनकी पूजा से इससे यश, बल और धन की प्राप्ति होती है. सिद्धिदात्री देवी उन सभी भक्तों को महाविद्याओं की अष्ट सिद्धियां प्रदान करती हैं, जो सच्चे मन से उनके लिए आराधना करते हैं. मान्यता है कि सभी देवी-देवताओं को भी मां सिद्धिदात्री से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई है.

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