मकर संक्रांति हिंदुओ के खास त्योहारों में से एक है, जिस देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. ये त्योहार जनवरी महीने में मनाया जाता है. परंपराओं में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है. बताया जा रहा है कि 14 जनवरी को शाम 7.52 पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा, वहीं मकर राशि का पुण्यकाल 14 जनवरी को 1.28 बजे से 15 जनवरी को 12 बजे तक रहेगा. ऐसे में संक्रांति का दान और स्नान का महत्व 15 तारीख को माना जाएगा. इस बार ये पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा.
इस दिन से सूर्य उत्तरायण होता है. मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक का प्रसाद बांटा जाता है. यह त्योहार प्रकृति, ऋतु परिवर्तन और खेती से जुड़ा है. इन्हीं तीन चीजों को जीवन का आधार भी माना जाता है. प्रकृति के कारक के तौर पर इस दिन सूर्य की पूजा होती है. सूर्य की स्थिति के अनुसार ऋतुओं में बदलाव होता है और धरती अनाज पैदा करती है. अनाज से जीव समुदाय का भरण-पोषण होता है. वहीं मकर संक्रांति पर कुछ विशेष काम जरूर किए जाने चाहिए. मान्यता है कि इन कामों को करने से पुण्य हासिल होता है.
तिल के तेल का दीपक
इस दिन तिल के तेल का दीपक जलाया जाता है. मान्यता है कि मन की शुद्धि के लिए संगम तट पर तिल के तेल का दीपक जरूर जलाया जाना चाहिए.
दान
मकर संक्रांति पर दान का महत्व बताया गया है. इस दिन खिचड़ी, तिल, गुड़, चावल, नीबू, मूली, उड़द दाल और द्रव्य का दान किया जाना चाहिए.
स्नान
मकर संक्रांति पर हवन, अभिषेक, यज्ञ, नदियों में स्नान दान का महत्व भी काफी रहता है.
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