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महाशिवरात्रि 2018: महामंत्र है 'ॐ नम: शिवाय', महिमा जानेंगे तो चौंक जाएंगे आप

हिंदू धर्म में कुल सात करोड़ मंत्र और अनेकानेक उपमंत्र होने के बावजूद इस मंत्र जैसा कोई नहीं है

Updated On: Feb 12, 2018 01:42 PM IST

Ravi kant Singh

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महाशिवरात्रि 2018: महामंत्र है 'ॐ नम: शिवाय', महिमा जानेंगे तो चौंक जाएंगे आप

महाशिवरात्रि पर किस मंत्र का जाप करें, जो भगवान शिव का साक्षात आशीर्वाद दिलाए? यह सवाल शिव भक्तों को अक्सर परेशान करता है क्योंकि शिव से ही महामृत्युंज भी जुड़े हैं जिनका मंत्र मौत को भी मात देता है. मंत्रों के बारे में कहा जाता है कि यह जितना आसान होगा, साधक की जबान पर उतनी ही तेजी से चढ़ेगा. ऊं नमः शिवाय ऐसा ही मंत्र है जिसे हर शिवभक्त अपनी चेतना के साथ-साथ जिंदगी का भी हिस्सा बना लेता है. चूंकि इसका ध्यान, मनन करना आसान है, इसलिए जाप में भी इसे सर्वोत्तम स्थान मिला है.

परम साधना है मंत्रों का जाप

तन-मन को एकाग्र कर मंत्र का जाप इंसान के लिए आध्यात्मिक मार्ग की शुरुआत है. एक तरह से यही साधना भी है. हिंदू धर्म में आध्यात्मिक ऊर्जा को उच्च स्तर पर ले जाने के लिए मंत्रों को सर्वोत्तम जरिया माना गया है. यह भी देखा जाता है कि जितनी ऊर्जा और स्फूर्ति मंत्रों के जाप से मिलती है, वह सामान्य पूजा में संभव नहीं. ऐसे में ॐ नम: शिवाय वह मूल मंत्र है, जिसे कई सभ्यताओं में महामंत्र माना गया है. इस मंत्र का अभ्यास अलग-अलग तरीकों से कर सकते हैं. जैसे-माला के साथ जपें या मनन के साथ. या सांस के आने-जाने से भी इसे जोड़ सकते हैं. लक्ष्य होना चाहिए कि उस परम सत्ता तक कैसे पहुंचा जाए जिसे परमात्मा, परमेश्वर या ईश्वर का दर्जा दिया गया है.

'ॐ नम: शिवाय' किसका प्रतीक

दिखने में छोटा यह मंत्र अपने आप में पांच मंत्र है. तभी इसे पंचाक्षर का दर्जा दिया गया है. ये पंचाक्षर प्रकृति में मौजूद पांच तत्वों के प्रतीक हैं और शरीर के पांच मुख्य केंद्रों के भी प्रतीक हैं. साधना के तहत मंत्र के पंचाक्षरों से शरीर के पांच केंद्रों को जाग्रत किया जा सकता है. इसलिए जाप करने से मन और बुद्धि तो शुद्ध होता ही है, ये आसपास के सिस्टम को शुद्ध कर शक्तिशाली बनाता है. यह आपके ऊपर है कि इसका इस्तेमाल आप किस स्तर तक कर पाते हैं.

इसके समान कोई दूसरा मंत्र नहीं

शिव महापुराण बताता है कि ॐ नम: शिवाय के समान कहीं कोई दूसरा मंत्र नहीं है. हालांकि हिंदू धर्म में कुल सात करोड़ मंत्र और अनेकानेक उपमंत्र होने के बावजूद इस मंत्र जैसा कोई नहीं है. ऐसा माना जाता है कि जिसने 'ॐ नम: शिवाय'  मंत्र को जप साधना बना लिया है उसने सभी शास्‍त्र पढ़ लिए और समस्‍त अनुष्‍ठानों को पूरा कर लिया. शिव पुराण के अध्‍याय 12 में यहां तक कहा गया है कि 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र के जप में लगा हुआ पुरुष यदि पंडित, मूर्ख, अन्‍त्‍यज अथवा अधम भी हो तो वह पाप कर्मों से मुक्‍त हो जाता है.

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