live
S M L

बंगाल में धार्मिक रस्मों से नहीं रेडियो ड्रामा से होती है नवरात्र की शुरुआत

80 से ज्यादा सालों से महालया का मतलब वीरेंद्र भद्र की आवाज में महिषासुर मर्दनी का पाठ सुनना है

Updated On: Sep 19, 2017 12:30 PM IST

Animesh Mukharjee Animesh Mukharjee

0
बंगाल में धार्मिक रस्मों से नहीं रेडियो ड्रामा से होती है नवरात्र की शुरुआत

पितृपक्ष विसर्जन अमावस्या के दिन सुबह चार बजे देश और दुनिया के तमाम बंगाली उठ जाते हैं. श्राद्ध पक्ष के खत्म होने और दुर्गापूजा के आने के बीच इस दिन अल सुबह हर पारंपरिक परिवार में एक रस्म निभाई जाती है. रेडियो ऑन करके वीरेंद्र कृष्ण भद्र के धार्मिक प्ले महिषासुर मर्दनी को न सुन लिया जाए. दुर्गापूजा की शुरुआत नहीं मानी जा सकती है.

हिंदुस्तान अनोखी रवायतों का देश है और 1931 में पहली बार सुनाए गए इस प्ले का बंगाल के सबसे बड़े पर्व का हिस्सा बन जाना भी ऐसी ही एक अनोखी मिसाल है. 1966 में रेडियो पर पहली बार महालया (पितृविसर्जन अमावस्या का बंगाल में प्रचलित नाम) के दिन वीरेंद्र भद्र के प्ले महिषासुर मर्दनी को ब्रॉडकास्ट किया गया था.  देखते ही देखते 90 मिनट की ये कंपोज़ीशन मां दुर्गा के स्वागत का प्रतीक बन गई.

1905 में पैदा हुए वीरेंद्र भद्र प्ले राइटर, ऐक्टर और डायरेक्टर थे. यूं तो उन्होंने ‘साहब बीबी गोलाम’ जैसे कई मशहूर बांग्ला नाटक डायरेक्ट किए मगर संगीतकार पंकज मल्लिक के साथ मिलकर बनाई गई उनकी कंपोजीशन महिषासुर मर्दनी ने उन्हें साहित्य और कला जगत के साथ-साथ धार्मिक रस्मो-रिवाज का हिस्सा बना दिया.

Birendra_Krishna_Bhadra_(1905-1991)

दुर्गा सप्तशती, लोक संगीत और कूछ दूसरे मंत्रों को मिलाकर बनाई गई इस रचना में विरेन के पढ़ने का अंदाज रोंगटे खड़े कर देता है. ऑल इंडिया रेडियो ने इस प्ले के साथ बीच-बीच में कई प्रयोग करने की भी कोशिश की. बांग्ला फिल्मों के सुपर स्टार उत्तम कुमार को वीरेंद्र भद्र की आवाज को रिप्लेस करने के लिए लाया गया. उत्तम कुमार अपनी तमाम लोकप्रियता के बावजूद बुरी तरह से हूट किए गए. आप आज भी उस दौर के किसी कोलकाता वाले से पूछिए, इस घटना को याद करके वो इस तरह से गुस्सा होगा मानों कि वीरेंद्र भद्र की आवाज को रिप्लेस करना कोई धार्मिक पाप हो.

वीरेंद्र भद्र 1991 में इस दुनिया से चले गए मगर उनकी आवाज हर साल एक तय वक्त पर देवी दुर्गा का स्वागत करती है. बदलते दौर के साथ महिषासुर मर्दनी यूट्यूब, सीडी और दूसरे डिजिटल फॉर्मेट में उपलब्ध हो गया है मगर इसका जादू अभी भी वैसा है.

0

अन्य बड़ी खबरें

वीडियो
KUMBH: IT's MORE THAN A MELA

क्रिकेट स्कोर्स और भी

Firstpost Hindi