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Karwa Chauth 2018: व्रत करने वाली महिलाएं जान लें ये जरूरी बातें

करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं दो चीजों का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करती हैं, पहला- अपने पति के ऑफिस से आने की और दूसरा चांद का फलक पर आने की

Updated On: Oct 26, 2018 03:42 PM IST

FP Staff

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Karwa Chauth 2018: व्रत करने वाली महिलाएं जान लें ये जरूरी बातें

सुहागन स्त्रियों के लिए सबसे अहम करवा चौथ का व्रत इस बार 27 अक्टूबर 2018 को पड़ रहा है. पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार और विश्वास का प्रतीक करवा चौथ हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. कार्तिक मास की चतुर्थी जिस रात रहती है उसी दिन करवा चौथ का व्रत सुहागनों द्वारा रखा जाता है. व्रत रखने वाली ज्यादातर महिलाएं होती हैं, लेकिन समय के साथ पुरुषों ने भी अपनी पत्नियों के लिए यह व्रत करना शुरू कर दिया है.

करवा चौथ का पूजन

करवा चौथ के पूजन में धातु के करवे का पूजन श्रेष्ठ माना गया है. यथास्थिति अनुपलब्धता में मिट्टी के करवे से भी पूजन का विधान है. ग्रामीण अंचल में ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ के पूजन के दौरान ही सजे-धजे करवे की टोंटी से ही जाड़ा निकलता है. करवा चौथ के बाद पहले तो रातों में धीरे-धीरे वातावरण में ठंड बढ़ जाती है और दीपावली आते-आते दिन में भी ठंड बढ़नी शुरू हो जाती है.

क्यों महत्वपूर्ण है चांद और छलनी?

करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं दो चीजों का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करती हैं, पहला- अपने पति के ऑफिस से आने की और दूसरा चांद का फलक पर आने की. महिलाएं छलनी से चांद और पति को देखकर ही अपना व्रत तोड़ती हैं. लेकिन महिलाएं छलनी से ही चांद और पति का चेहरा क्यों देखती है? ये सवाल दिलचस्प है!

करवा चौथ के दिन छलनी का काफी महत्व होता है. पूजा की थाली में महिलाएं सभी सामानों के साथ छलनी को भी जगह देती है. दरअसल करवा चौथ की रात महिलाएं अपना व्रत पति को इसी छलनी से देखकर पूरा करती हैं. इस छलनी में शादी-शुदा महिलाएं दीपक रख चांद को देखती हैं और फिर अपने पति का चेहरा इसी छलनी से देखती है. जिसके बाद पति उन्हें पानी पिलाकर व्रत पूरा कराते हैं. इस पूरी प्रक्रिया की एक खास वजह भी है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है और चंद्रमा को लंबी उम्र का वरदान भी हासिल है. साथ ही चांद में सुंदरता, प्रसिद्धि, शीतलता, प्रेम और लंबी उम्र जैसे गुण भी हैं. इस कारण से ही शादीशुदा महिलाएं चांद को देखकर इन सभी गुणों की कामना अपने पति के लिए करती हैं.

पूजन मुहूर्त

करवा चौथ पूजा मुहूर्त- सायंकाल 6:37- रात्रि 8:00 तक चंद्रोदय- सायंकाल 7:55 चतुर्थी तिथि आरंभ- 18:37 (27 अक्टूबर) चतुर्थी तिथि समाप्त- 16:54 (28 अक्टूबर)

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