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Kartik Purnima 2018: इस साल बन रहा है खास समृद्धि योग, इस विधि से करें पूजा, होंगे सभी दोष दूर

मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासर का वध किया था. इसलिए इस तिथि को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है

Updated On: Nov 21, 2018 04:31 PM IST

FP Staff

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Kartik Purnima 2018: इस साल बन रहा है खास समृद्धि योग, इस विधि से करें पूजा, होंगे सभी दोष दूर

हिंदु धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इस साल यह तिथि 23 नवंबर को पड़ रही है. इस दिन को काफी पवित्र माना जाता है. इ्स दिन स्नान और दान का बड़ा महत्व है. इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है.

क्या है महत्व?

मान्यता है कि इस दिन भक्त सभी देवी देवताओं को एक साथ प्रसन्न कर सकते हैं. इस विशेष मौके पर विधि-विधान से पूजा अर्चना करना ना केवल पवित्र माना जाता है बल्कि इससे समृद्धि भी आती है. इसके साथ ही इससे सभी कष्ट दूर हो सकते हैं. इस दिन पूजा करने से कुंडली, धन और शनि दोनों के ही दोष दूर हो जाते हैं.

क्यों कहते हैं त्रिपुरी पूर्णिमा?

मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासर का वध किया था. इसलिए इस तिथि को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. दरअसल मान्यता है कि त्रिपुर ने एक लाख वर्ष तक प्रयाग में भारी तपस्या कर ब्रह्मा जी से मनुष्य और देवताओं के हाथों ना मारे जाने का वरदान हासिल किया था. इसके बाद भगवान शिव ने ही उसका वध कर संसार को उससे मुक्ति दिलाई थी. इसेक अलावा इस तिथि को गंगा दशहरा के नाम से भी जाना जाता है.

इस दिन क्या करें?

मान्यता है कि इस दिन इस चावल दान करना बेहद शुभ होता है. दअसल चावल का संबंध च्रंद से है इसलिए कहते हैं कि ये शुभ फल देता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर को साफ रखना चाहिए. इसी के साथ ही घर के दरवाजे पर रंगोली बनाना भी बहुत शुभ माना जाता है. इस कार्तिक पूर्णिमा को विशेष समृद्धि योग बन रहा है, इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाना बहुत शुभ होगा. डल चढ़ाने के बाद 108 बार ओम नम: शिवाय का जाप भी करें.

पूजा विधि

1. आप प्रातः काल शीघ्र उठकर सूर्य देव को जल अर्पित करें. जल में चावल और लाल फूल भी डालें.

2. सुबह स्नान के बाद घर के मुख्यद्वार पर अपने हाथों से आम के पत्तों का तोरण बनाकर बांधे.

3. सरसों का तेल, तिल, काले वस्त्र आदि किसी जरूरतमंद को दान करें.

4. सायं काल में तुलसी के पास दीपक जलाएं और उनकी परिक्रमा करें.

5. इस दिन ब्राह्मण के साथ ही अपनी बहन, बहन के लड़के, यानी भान्जे, बुआ के बेटे, मामा को भी दान स्वरूप कुछ देना चाहिए.

6. जब चंद्रोदय हो रहा हो, तो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी का आशीर्वाद मिलता है.

 

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