ईसाई धर्म के लोगों के लिए सबसे बड़ा त्योहार माना जाने वाला क्रिसमस दुनियाभर में जोर शोर से मनाया जाता है. 25 दिसंबर को यीशू मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाए जाने वाले इस दिन की रौनक देखने लायक होती है.
इस त्योहार पर बाजार में क्रिसमस ट्री, सांता क्लॉज और गिफ्ट्स की सजावट की जाती है. लोग भी अपने घरों को सजाने के लिए शॉपिंग करते हैं. क्रिसमस से पहले देशभर में बाजारों की रौनक देखने लायक है. लोग क्रिसमस के लिए खास तैयारियां करते हैं. वहीं क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री लगाने की भी परंपरा काफी अहम मानी जाती है. क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री को भी काफी सजाया जाता है. ऐसे में आइए आज हम जानते हैं क्रिसमस ट्री के रोचक तथ्यों के बारे में...
माना जाता है कि क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा जर्मनी से शुरू हुई थी. इसके बाद 19वीं सदी से यह परंपरा इंग्लैंड में पहुंची और वहां से पूरे विश्व में यह परंपरा फैल गई. वहीं क्रिसमस ट्री की कहानी प्रभु यीशु मसीह के जन्म से मानी जाती है. जब उनका जन्म हुआ था तब उनके माता-पिता मरियम और जोसेफ को बधाई देने वालो में स्वर्गदूत भी थे. जिन्होंने एक सदाबहार फर को सितारों से जगमगा दिया था. इसके बाद से ही सदाबहार क्रिसमस फर के पेड़ को क्रिसमस ट्री के रूप में पहचान मिली.
क्रिसमस ट्री की सजावट के लिए लोग इसमें मोमबत्तियों, टॉफियों, केक, लाइटें आदि लगाते हैं. वहीं मान्यता है कि क्रिसमस ट्री सजाने से घर के बच्चों की उम्र बढ़ती है. साथ ही इससे बुरी आत्माएं दूर होती हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है.
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