भगवान शिव को समर्पित भौम त्रयोदशी का व्रत काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. त्रयोदशी का यह व्रत शाम के वक्त रखा जाता है इसलिए इसे प्रदोष व्रत कहा जाता है. भगवान शिव के लिए समर्पित होने के चलते इस दिन भगवान शिव की पूजा करना का काफी महत्व रहता है. यह व्रत कृष्ण और शुक्ल दोनों ही पक्षों में किया जाता है.
साथ ही इसे प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है. अगर त्रयोदशी मंगलवार को होती है तो उसे भौम प्रदोष कहा जाता है. वहीं अगर त्रयोदशी सोमवार को होती है तो उसे सोम प्रदोष कहा जाता है. हालांकि इस बार 4 दिसंबर मंगलवार को यह व्रत रखा जाना है.
पूजा विधि
मान्यताओं के मुताबिक पुत्र प्राप्ति के लिए इस व्रत का काफी महत्व बढ़ जाता है. साथ ही मोक्ष प्राप्ति और दरिद्रता के नाश के लिए भी ये व्रत रखा जाता है. इस व्रत के दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान आदि कर लेना चाहिए. साथ ही इस दिन 'अहमद्य महादेवस्य कृपाप्राप्त्यै सोमप्रदोषव्रतं करिष्ये’ कह कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद शिव भगवान की पूजा करें. इस दिन उपवास रखना चाहिए. वहीं शिव मंदिर में भगवान शिव को बेल पत्र, पुष्प, भोग आदि भी चढ़ाने चाहिए और शिव मंत्र का जप करना चाहिए.
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